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क्या है किन्नरों से मिले 1 रुपये का महत्व? यह है सिक्का लेने का सही तरीका
किन्नरों से एक रुपये का सिक्का मिलने का मतलब है कि घर में धन की वर्षा होगी, लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है। हमें खुद एक ट्रांसजेंडर ने बताया कि सिक्का लेने का सही तरीका क्या है।
भारत मान्यताओं का देश है और दुनिया भर की मान्यताएं हमारे देश में मानी जाती हैं। हर प्रांत, धर्म, जाति और व्यक्ति की अलग मान्यताएं। कुछ मान्यताएं इतनी गहरी हैं कि वो धर्म और प्रांत की सीमा तोड़ देती हैं और ऐसी ही है किन्नरों से सिक्का लेने का रिवाज। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई किन्नर आपको अपने पास से 1 रुपये का सिक्का दे दे, तो आपकी किस्मत खुल जाएगी और धन की वर्षा होने लगेगी। पर क्या ऐसा होता है और किन्नरों से पाया एक सिक्का आपके गृहों की दशा और दिशा बदल सकता है।
इसे एक टोटके की तरह माना जाता है और ऐसा भी देखा गया है कि लोग सिर्फ इस एक सिक्के का बिजनेस करने लगते हैं। मैं खुद वृंदावन गई थी जहां एक थर्ड जेंडर महिला खड़ी होकर सिक्के बांट रही थी। उसके साथ वाले लोग मंदिर में आने-जाने वाले लोगों को पकड़-पकड़ कर सिक्का लेने के लिए फोर्स कर रहे थे। यह देखकर बहुत अजीब लगा और ऐसा कौन सा टोटका है जिसके लिए इस तरह से फोर्स करना सही है?
एस्ट्रोलॉजी के मुताबिक दान-धर्म और टोटके आपके जीवन को सुधार सकते हैं। किन्नरों से मिले सिक्के की तुलना जादू से ही की जाती है। प्राइड मंथ के दौरान मैं और मेरी सहयोगी तान्या ActionAid India गए थे। यह NGO कई सामाजिक कार्यों को पूरा कर रहा है। यहां हमारी बात मयूरी अरोड़ा से हुई जो खुद एक ट्रांसवुमन हैं और दीपशिखा समिति के साथ ट्रांस कम्युनिटी की हेल्थ और सेफ्टी को लेकर काम करती हैं।
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मयूरी से बातों ही बातों में वृंदावन वाले इस किस्से का जिक्र भी किया जहां उन्होंने कुछ ऐसी बातें बताईं जिनके बारे में शायद आपने कभी ना सुना हो।क्या है एक रुपये के सिक्के का सच?
मयूरी ने अपने पास्ट के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने चेला प्रथा का पालन किया था और ताली बजाना भी सीखा था। उन्हें किन्नरों के कई रिवाजों की भी जानकारी है और किन्नरों के साथ डेरे में रहकर उन्हें काफी कुछ पता चला। एक रुपये का सिक्का भले ही आज किराने की दुकान पर कोई खास मान्यता नहीं रखता हो, लेकिन यह किन्नरों की दुनिया में बहुत ज्यादा मान्य है। लोग अक्सर मयूरी से एक रुपये का सिक्का मांगते हैं। (क्या किन्नरों को हो जाता है अपनी मृत्यु का आभास)
उन्होंने कहा कि यह सच है कि एक रुपये का सिक्का अच्छी किस्मत का प्रतीक समझा जाता है, लेकिन वह तभी जब सही से दिया जाए। उन्होंने एक किस्सा भी बताया, "मैं हरिद्वार में अपनी सहेली के साथ बैठी हुई थी और वहां एक बूढ़ी औरत आकर बार-बार मेरे पास से गुजर रही थी। मैंने उससे पूछा कि उसे क्या चाहिए, तो उसने कहा कि मैं बस उसे एक रुपये का सिक्का दे दूं और उसके बदले में वो मुझे 100 रुपये दे देगी। उसने बताया कि उसे बहुत दिक्कत है और घर में कुछ ठीक नहीं चल रहा। तब मैंने उसे सिक्का दिया और वह खुश होकर चली गई।"
मयूरी की मानें तो इसका असर नेगेटिविटी से होता है और अगर कोई सही तरीके से सिक्का देता है तो कम से कम मानसिक तनाव कम हो जाता है।
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मयूरी के मुताबिक उन लोगों में मान्यता है कि नेगेटिविटी दूर करने के लिए अपने गहनों की छाप उस सिक्के में छोटी जाती है। मयूरी के मुताबिक, "अगर मैं किसी को दिल से सिक्का दे रही हूं, तो अपने गले की माला, चूड़ियों, सिंदूर, पायल की छाप के साथ उस सिक्के को दूंगी। सिक्का गहनों से छूकर देने का मतलब है कि आप उसके साथ नेगेटिविटी को दूर करने की दुआ दे रहे हैं।" (घर से नेगेटिविटी दूर करने के उपाय)
मयूरी को इस बात से आश्चर्य होता है कि लोग यह समझते हैं कि उनका दिया हुआ एक सिक्का लोगों की मुश्किलें दूर कर देगा, लेकिन जब मान-सम्मान देने की बात होती है तब कम्युनिटी के लोगों को दूर कर देते हैं। कम्युनिटी के लोगों का काम सिर्फ दुआएं देना या भीख मांगना समझा जाता है।
अब इसे समाज की दोहरी मानसिकता ही कहा जाएगा कि लोग इस तरह का व्यवहार करते हैं।
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